GETTING MY MANAV ADHIKAR HUMAN RIGHTS NEWS HINDI NEWS TO WORK

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महत्वपूर्ण हस्तक्षेप / ऐतिहासिक निर्णय

ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ इंटरव्यू इंटरव्यू रणनीति

टेस्ट सीरीज़ यू.पी.एस.सी प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़

मानव द्वारा मानव के दर्द को पहचानने और महसूस करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं होती है। अगर हमारे मन में मानवता है ही नहीं तो फिर हम साल में पचासों दिन ये मानवाधिकार का झंडा उठाकर घूमते रहें, तो कुछ भी नहीं किया जा सकता है। ये तो वो जज्बा है, जो हर इंसान के दिल में हमेशा ही बना रहता है, बशर्ते कि वह इंसान संवेदनशील हो। क्या हमारी संवेदनाएं मर चुकी हैं?

इस अधिकार के अनुसार गुलामी और गुलामी के व्यापारियों को हर रूप में प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि दुर्भाग्य से ये दुर्व्यवहार अब भी अवैध तरीके से चलते हैं।

हालांकि कानून द्वारा संरक्षित इन अधिकारों में से कई का लोगों द्वारा, यहां तक ​​कि सरकारों के द्वारा भी, उल्लंघन किया जाता है। हालांकि मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नजर रखने के लिए कई संगठन बनाए गए हैं। ये संगठन इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाते हैं।

एम. कुमार, श्रीमती ज्योतिका कालरा, डॉ. डी.एम. मुले, श्री राजीव जैन, महासचिव, श्री बिम्‍बाधर प्रधान, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, सांविधिक आयोग के सदस्य, एसएचआरसी, राजनयिक, नागरिक समाज एवं अन्यों की उपस्‍थिति में मुख्‍य अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित करेगें।

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयोग में नियमित अध्यक्ष के न होने के चलते क्या दुर्गति हो गई get more info है। गौरतलब है कि मानव अधिकार आयोग राज्य में होने वाले तमाम मानव अधिकार के उल्लंघन के मामलों पर सुध लेता है। इन मामलों में अंतरिम राहत प्रदान करना मुआवजा या हर्जाना देने की अनुशंसा या सिफारिश करना शामिल होता है। वर्तमान में मानव अधिकार आयोग में एक सदस्य मनोहर ममतानी हैं जो कार्यवाहक अध्यक्ष बनकर कामकाज निपटा रहे हैं।

मुख्य परीक्षा (वर्षवार) मुख्य परीक्षा (विषयानुसार) ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन

बहुत से कार्यक्रम लोगों, बच्चों के साथ ही साथ युवाओं को अपने मानवाधिकारों के बारे में सीख देने के उद्देश्य से आयोजित किये जाते हैं। कुछ विरोधी गतिविधियों का आयोजन उन क्षेत्रों के लोगों को अवगत कराने के लिये किया जाता है जहाँ मानवाधिकार गैर मान्यता प्राप्त और अपमानित है।

गुलामी और दास प्रथा पर क़ानूनी रोक है। हालांकि यह अभी भी दुनिया के कुछ हिस्सों में इसका अवैध रूप से पालन किया जा रहा है।

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में सर्वोच्च न्यायालय का एक पूर्व न्यायधीश, किसी उच्च न्यायालय का एक पूर्व न्यायधीश तथा मानवाधिकारों के सम्बन्ध में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले दो और सदस्य होते हैं.

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